राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना : एक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

  • रमाकान्त सिंह शोधछात्र इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
  • प्रो0 एम0 पी0 सिंह शोध पर्यवेक्षक इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या

Abstract

स्वतंत्रता से पूर्व स्थापित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मूल रुप से भारतीय संस्कृति के सरंक्षण से जुड़ी रही है। हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान तथा उसके गौरवशाली परम्पराओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास संघ के द्वारा अपनी स्थापना काल से ही किया जा रहा है। बौद्धिकता के साथ समाज सेवा से जुडे हुए विभिन्न कार्याे में इसकी सहभागिता इसे आम जनमानस के मध्य एक लोकप्रिय संगठन के रुप में स्थापित करता है। राजनीतिक संरक्षण एवं प्रतिद्वन्द्विता से मुक्त राष्ट्रीय स्वयं संघ अपने अनुषंगी संगठनों के माध्यम से सांस्कृतिक , नैतिक एवं आर्थिक उत्थान के साथ राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित करने का कार्य कर रही है। अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने के लिए तत्पर संघ अपनी मूल विचारधारा को सजोए हुए देश काल एवं परिस्थितियों के अनुरुप स्वयं को परिवर्तित करती रही है।

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Published
2023-06-20
How to Cite
सिंहर., & सिंहप. ए. प. (2023). राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना : एक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य. Humanities and Development, 18(1), 5-9. https://doi.org/10.61410/had.v18i1.97