संत एवं वैष्णव सम्प्रदाय

  • अखिले‛ा कुमार त्रिपाठी सहायक आचार्य, समाज‛ाास्त्र, टी0एन0पी0जी0 कालेज, टाण्डा, अम्बेडकरनगर।
  • रेखा श्रीवास्तव सहायक आचार्य, समाज‛ाास्त्र, राजकीय पी0जी0 कालेज, मुसाफिरखाना, अमेठी।
  • राघवेन्द्र पाण्डेय ॉाोधार्थी समाज‛ाास्त्र, टी0एन0पी0जी0 कालेज, टाण्डा, अम्बेडकरनगर।

Abstract

संत किसे कहते हैं? संत की क्या व्याख्या है? संत की क्या परिभाषा है? यह प्र‛न सभी के अन्दर उठता है। साधु चरित सभु चरित कपासू। निरस बिसद गुनमय फल जासू।।1 गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरित मानस में संत को कपास की तरह बताया है और कहा है संत का जीवन कपास की तरह है, संत का चरित्र कपास के समान शुभ है, जिसका फल विशद, नीरस और गुणमय होता है।

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Published
2024-12-30
How to Cite
त्रिपाठीअ. क., श्रीवास्तवर., & पाण्डेयर. (2024). संत एवं वैष्णव सम्प्रदाय. Humanities and Development, 19(04), 60-64. Retrieved from https://www.humanitiesdevelopment.com/index.php/had/article/view/242