संत एवं वैष्णव सम्प्रदाय
Abstract
संत किसे कहते हैं? संत की क्या व्याख्या है? संत की क्या परिभाषा है? यह प्र‛न सभी के अन्दर उठता है। साधु चरित सभु चरित कपासू। निरस बिसद गुनमय फल जासू।।1 गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरित मानस में संत को कपास की तरह बताया है और कहा है संत का जीवन कपास की तरह है, संत का चरित्र कपास के समान शुभ है, जिसका फल विशद, नीरस और गुणमय होता है।
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Published
2024-12-30
How to Cite
त्रिपाठीअ. क., श्रीवास्तवर., & पाण्डेयर. (2024). संत एवं वैष्णव सम्प्रदाय. Humanities and Development, 19(04), 60-64. Retrieved from https://www.humanitiesdevelopment.com/index.php/had/article/view/242
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