प्रेमचंदकालीन भारतीय शिक्षा और प्रेमचंद के शिक्षा सम्बन्धी विचार

  • अनिता कुमारी व्याख्याता, हिन्दी, आरा।
  • मेघा सिन्हा छात्रा, एम0ए0 (हिन्दी), जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली

Abstract

प्रेमचंदकालीन भारतीय चिंतकों, लेखकों तथा नेताओं का मानना है कि समाज की महत्वपूर्ण इकाई ‘व्यक्ति’ और उनसे निर्मित ‘समुदाय’ है। अतएव यदि इनको शिक्षित बनाया जा सकता है तो ये भारतीय उदीयमान समाज में जनतंत्र एवं स्वतंत्र सोच को जन्म देकर भारत की आकांक्षाओं की पूर्ति करने में समर्थ सिद्ध होंगे। हालांकि इनका ये भी मानना है कि किसी को शिक्षित करने से तात्पर्य पढ़ना-लिखना, सिखाना मात्र नहीं है, बल्कि शिक्षित करने का अर्थ व्यक्ति को सार्वभौमिक पर्यावरणजन्य नाना प्रकार की परिस्थितियों से उसका तादात्म्य बनाकर यथार्थताओं के लक्ष्य तक ले जाना है।

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Published
2024-12-30
How to Cite
कुमारीअ., & सिन्हाम. (2024). प्रेमचंदकालीन भारतीय शिक्षा और प्रेमचंद के शिक्षा सम्बन्धी विचार. Humanities and Development, 19(04), 45-48. Retrieved from https://www.humanitiesdevelopment.com/index.php/had/article/view/239