ग्रामीण परिवेश की महिलाओं पर स्वयं सहायता समूह का प्रभाव
Abstract
इस देश के ग्रामीण विकास में स्वयं सहायता समूह की भूमिका अतुलनीय रहीं है। ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आथ्रिक रूप से सशक्त बनाने हेतु एक जन आन्दोलन भी तैयार किया है साथ ही ग्रामीण समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की सामाजिक विषमताओं यथा-गरीबी, बेराजगारी, भेदभाव, भ्रष्टाचार तथा महिलाओं के साथ पारिवारिक उत्पीड़न को अपनी भागीदारी से समाप्त करने का अथक प्रयास किया है। स्वयं सहायता समूह सरकार एवं समाज को अपना निरन्तर योगदान देने के साथ महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक रूप से सबल बनाने का प्रयास किया है जिससे वह परिवार, समाज एवं देश की प्रगति में वह अपना योगदान दे सकें।
स्वयं सहायता समूह द्वारा ग्रामीण परिवेश में जीवन-निर्वहन करने वाले कमजोर एवं गरीबों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऐसी नीतियों का निर्माण करना है जिससे बैंको के माध्यम से बचत, ऋण एवं बैंकिग गतिविधियों में वृद्धि कर समूह के सदस्यों में विश्वास में वृद्धि हुए उनके कल्याण हेतु कार्य करना है।