महिला उद्यमिता एवं नेतृत्व
Abstract
हमारी सनातन परंपरा में भारतीय नारी को शक्ति स्वरूपा व शक्ति का पुंज माना गया है। अतः स्त्री की शक्ति को चिन्हित करके ही भारत में सदा स्त्रियों को नमन किया गया और महिलाओं को आर्थिक, शैक्षिक तथा भावनात्मक रूप से सजग व स्थिर बनाने का प्रयास सदैव किया गया। सन् 1991 में महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में महिलाओं को प्रशिक्षण व प्रोत्साहन देने का कार्य बहुत तेजी से बढ़ा, जबकि 1974 से 1978 में अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया जा चुका था। हालांकि भारत में अभी भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की उद्यम क्षेत्र में सहभागिता कम है। कारण आज भी पितृसत्तात्मक समाज, उत्पादन लागत उच्च, आर्थिक समस्याएं, यात्राएं आदि भेद-भाव जैसी कई समस्याएं समाज में उपस्थित हैं। वर्तमान सरकार भी उद्यमी महिलाओं के लिए सकारात्म्क परिवर्तन के साथ-साथ निरन्तर वृद्धि कर रही है जिससे समाज की संरचना में परिवर्तन हो रहा है। अगर बात नेतृत्व की की जाए तो आज महिलाएं फैशन, डिजाइन, इलेक्ट्राॅनिक, सूचना, संचार, ट्रैवेल्स, आॅटोमोबाइल्स आदि में आगे जा रही हैं। उद्योग व्यापार में अनेकों महिलाओं ने अपना परचम समाज में लहराया है, जैसे - इंदु जैन, इंदिरा नुई, किरण मजुमदार, नीलम धवन, चन्दा कोचर आदि। देश की आधी आबादी के रूप में पहचानी जाने वाली महिलाएं विकसित भारत की आधारशिला हैं, यह कहना अनुचित नहीं होगा।