कृषि महिला श्रमिकों की आर्थिक स्थिति में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों की भूमिका

  • प्रमोद कुमार शोधछात्र- समाजशास्त्र विभाग, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर
  • डाॅ0 सन्तोष कुमार सिंह शोध निर्देशक-एसो0प्रोफे0-समाजशास्त्र विभाग, पं0 महादेव शुक्ल कृषक पी0जी0 कालेज, गौर-बस्ती
Keywords: महिला श्रमिक, असंगठित क्षेत्र, कार्यदशाऐं, हितग्राही, स्वामित्व, असंतोष, सहकारिता, संशाधन, भागीदारी

Abstract

भारतीय सामाजिक परिवेश में महिला कृषि श्रमिकों की सामाजिक-आर्थिक प्रस्थिति सम्पूर्ण देश के आर्थिक पक्ष का महत्वपूर्ण परिदृश्य है। भारत की अर्थ व्यवस्था में कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण घटक है। ग्रामीण परिवेश में सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां जटिल स्वरूप को स्पष्ट करती हैं। ग्रामीण महिला कृषि श्रमिकों की प्रस्थिति को उच्च बनाने हेतु बहुआयामी सुधार की भी आवश्यकता है जिसमें आय सुरक्षा में वृद्धि, कार्यशील, परिस्थितियों में सुधार, सामाजिक सुरक्षा, भूमि सुधार में वृद्धि, लौगिक असमानता को समाप्त करते हुए महिला कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में वृद्धि, सरकारी प्रयास के माध्यम से नागरिक समाज एवं अन्य हितधारकों, समाज के कमजोर वर्ग की आजीविका, सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करते हुए उनके आजीविका के विकल्पों का विविधीकरण किया जाना अति आवश्यक है। जिससे महिला कृषि श्रमिकों की कृषि गतिविधियों पर निर्भरता को कम किया जा सके।

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Published
2024-08-08
How to Cite
कुमारप., & कुमार सिंहड. स. (2024). कृषि महिला श्रमिकों की आर्थिक स्थिति में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों की भूमिका. Humanities and Development, 19(02), 49-53. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.189