संसदीय व्यवस्था में विपक्ष का उदभव एवं विकास

  • वेद प्रकाश शोधछात्र-राजनीति विज्ञान विभाग, डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या।
  • डाॅ0 कुमुद रंजन शोध निर्देशक-एसो0प्रोफे0, राजनीति विज्ञान विभाग, का0सु0 साकेत पी0जी0 कालेज, अयोध्या
Keywords: डेमोक्रेसी, विधायिका, भागीदारी, विचाराधारा, संविधान, सुशासन, मूल सिद्धान्त, उच्चतम आदर्श, निष्पक्षता

Abstract

संसदीय लोकतंत्र एक ऐसी लोकतांत्रिक प्रणाली है, जिसमें विधायी शक्ति और कार्यकारी शक्ति का वास्तविक नियंत्रण एक प्रतिनिधि निकाय के पास होता है। लोकतंत्र की वैधता विधायिका के विश्वास को प्राप्त करने की शक्ति को हासिल करता है जिसमें प्रति उसकी जवाबदेही भी होती है। वास्तव में प्रतिनिधि निकाय का गठन चुनावों के माध्यम से होता जिसमें देश की जनसंख्या के व्यापक बहुमत द्वारा स्वतंत्र या समान प्रकार से प्रतिभाग करने की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष ही सरकार की नीतियों एवं कार्यों के प्रति पारदर्शिता एवं जवाबदेही को सनुनिश्चित करने हेतु सरकार को बाध्य करता है।

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Published
2024-08-08
How to Cite
प्रकाशव., & रंजनड. क. (2024). संसदीय व्यवस्था में विपक्ष का उदभव एवं विकास. Humanities and Development, 19(02), 43-48. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.188