ग्रामीण वंचित मनरेगाकर्मी महिलाओं के सशक्तिकरण में आने वाली बाधाएं एवं निराकरण

  • पिंकी . शोध छात्रा, समाजशास्त्र विभाग, डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
  • प्रोफे0 अर्चना पाठक शोध निर्देशिका, समाजशास्त्र विभाग, डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
Keywords: श्रमिक, सशक्तिकरण, वंचित, गारण्टी, लाभार्थी, ग्रामीणांचल, अवरोधक।

Abstract

वैश्विक समाज से लेकर भारतीय समाज तक में आधी आबादी जेंडर की सामाजिक असमानता के चलते आय, सम्पत्ति, व्यवसाय, शिक्षा, और शक्ति से एक बड़े कालखंड से वंचित है, ग्रामीण भारत इसका सजीव चित्रण है। दुनिया भर के देशों में लोकतंत्रात्रिक मूल्यों के प्रसार के चलते 1975 के दशक में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए वैश्विक स्तर से भारतीय स्तर तक अनेकानेक प्रयत्न हुए। इन्हीं में उल्लेखनीय है कि पंचायतीराज व्यवस्था एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005। इसके द्वारा ग्रामीण वंचित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित होने और उन्हें राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सक्षमता प्रदान करने का निरन्तर प्रयत्न हो रहा है, यद्यपि इसके समक्ष अनेक बधाएं भी उत्पन्न हो रही हैं। शोधार्थिनी द्वारा प्रस्तुत शोध-पत्र में इन्हीं बाधाओं एवं उनके निराकरण की पड़ताल की गयी है।

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Published
2024-08-08
How to Cite
.प., & पाठकप. अ. (2024). ग्रामीण वंचित मनरेगाकर्मी महिलाओं के सशक्तिकरण में आने वाली बाधाएं एवं निराकरण. Humanities and Development, 19(02), 37-42. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.187