ग्रामीण परिवेश में अन्तर्जातीय विवाह का बढ़ता प्रचलन: प्रभाव एवं चुनौतियाँ

  • आरती वर्मा शोधार्थिनी - समाजशास्त्र, डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
  • डाॅ0 अखिलेश कुमार त्रिपाठी असि0प्रोफे0 समाजशास्त्र विभाग, टी0एन0पी0जी0 कालेज, टाण्डा
Keywords: अन्र्तधार्मिक, अन्तर्जातीय, अभिनव प्रवृति, सामाजिक, गतिशीलता सामंजस्य, जनभावना, भेदभाव, अनुकूलन, चुनौतियाँ, प्रभुता।

Abstract

विवाह समाज द्वारा मान्यता प्राप्त प्रथा एवं नियम के अनुसार स्त्री और पुरुष के यौन-सम्बन्धों को नियमित करने की ऐसी संस्था के रूप में रही है जिसका उद्देश्य परिवार निर्माण के लिए महत्वपूर्ण रही है। परम्परागत भारतीय समाज जहां जाति एवं धर्म से पूर्ण रूप से मुक्त नहीं रहा है वहां सामाजिक मानदण्डों में आये परिवर्तन के कारण अन्तर्जातीय विवाह को अब धीरे-धीरे मान्यता तो प्राप्त हो रही है किन्तु आज भी इसे ग्रामीण परिवेश में असामान्य और सामाजिक रूप से अच्छा नहीं माना जाता है। अतीत में अन्तर्जातीय विवाह सामाजिक विद्यटन और उपहास के विषय रहे है। ग्रामीण समाज में अन्तर्जातीय विवाह वर्ग संघर्ष का कारण रहे हैं, समाज में उच्च प्रस्थिति प्राप्त प्रभु जातियाँ, समाज में अपनी शक्ति सम्पन्नता का प्रदर्शन करने हेतु इस प्रकार के सम्बन्ध में को नकारते रहे है और सम्बन्धित परिवारों को अथाह पीड़ा का भी सामना करना पड़ता है।

Downloads

Download data is not yet available.
Published
2024-08-08
How to Cite
वर्माआ., & कुमार त्रिपाठीड. अ. (2024). ग्रामीण परिवेश में अन्तर्जातीय विवाह का बढ़ता प्रचलन: प्रभाव एवं चुनौतियाँ. Humanities and Development, 19(02), 27-31. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.185