मानव के लिए शाकाहार की आवश्यकता

  • डाॅयशमंत सिंह असि0 प्रोफे0, संस्कृत विभाग, राणा प्रताप पी0जी0 कलेज, सुल्तानपुर
Keywords: स्रोत, पूर्वज, मांसाहारी, शाकाहारी, क्षुधा, आध्यात्मिक, आत्मस्वरूप, एकाकार, संत

Abstract

ज्ञात स्रोतों से पता चलता है कि मनुष्य के पूर्वज जिन्हें हम आदि मानव कहते हैं वे जन्म से ही मांसाहारी थे। जब भी उन्होंने मां का दूध छोड़ होगा तो जंगली जानवर का शिकार करके मांस से ही पेट की क्षुुधा शांत करते थे, परंतु यह मनुष्य का आदिम स्वरूप था जबकि उसे यह पता नहीं था कि मनुष्य जन्म का उद्देश्य क्या है, मानव में ईश्वर ने वह कौन सी अद्वितीय शक्ति निहित कि है जिससे वह ईश्वर के समतुल्य बन सकता है, अपनी क्षमताओं का विकास कर सकता है ? ज्यों-ज्यों मनुष्य का विकास हुआ उसनें शिकार की कठिनाईयों को जाना और शाकाहारी फसलों से क्षुधा शांत करने की सरलता को भी जाना। धीरे-धीरे ईश्वरीय ‟पा से मनुष्य को ऐसे आध्यात्मिक गुरु भी मिले जिन्होंने मानव जीवन का उद्देश्य और उसकी सार्थकता बतायी और उसे शिष्यों को सिद्ध करके भी दिखाया। मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मस्वरूप को जानना एवं प्रभु को प्राप्त करना, उसके स्वरूप में एकाकार हो जाना है। इस पथ पर आगे बढ़ने में शाकाहार की उपयोगिता को संतों ने अत्यावश्क बताया है।

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Published
2024-06-30
How to Cite
सिंहड. (2024). मानव के लिए शाकाहार की आवश्यकता. Humanities and Development, 19(02), 4-7. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.181