एक समान सिविल संहिता: एक समालोचना
Keywords:
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Abstract
एक समान सिविल संहिता सदैव एक विवाद का विषय रहा है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 राज्य पर यह दायित्व आरोपित करता है कि वह देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता बनाये। केन्द्रीय सरकार ने जून 2016 मंे 21वें विधि आयोग को पास इस सन्दर्भ में विचार करने के लिए कहा। विधि आयोग ने अपनी 2018 की रिपोर्ट में बताया कि एक समान सिविल संहिता न तो वांछनीय है, न ही व्यवहारिक। किन्तु, केन्द्रीय सरकार ने पुनः फरवरी 2005 मंे इस सन्दर्भ में 22वें विधि आयोग का गठन कर दिया। प्रस्तुत तथा इस सम्बन्ध में, किसी निष्कर्ष पर न पहुँचने के कारण इसका कार्यकाल फरवरी 2023 में पुनः एक साल के लिए बढ़ा दिया गया। प्रस्तुत शोध पत्र में इस विषय के सभी पक्षों का एक समालोचनात्मक विश्लेषण किया गया है। विषय निम्नलिखित शीर्षकों में बटा है- 1. भूमिका, 2. सांविधानिक उपबंध, 3 संविधान निर्माताओं का आशय, 4. न्याय पालिका का २ष्टिकोण, 5. सरकार के प्रयास की प्रतिक्रिया, 6. विधि आयोग का सुझाव तथा 7. समीक्षा एवं सुझाव।Downloads
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Published
2024-03-30
How to Cite
तिवारीश. ब., & भास्कर ‟ष्ण क. (2024). एक समान सिविल संहिता: एक समालोचना. Humanities and Development, 19(01), 25-28. https://doi.org/10.61410/had.v19i1.169
Section
Research Article
Copyright (c) 2024 HUMANITIES AND DEVELOPMENT

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