‘‘अयोध्या के जातीय मंदिरों का सामाजिक योगदान’’

  • शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय शोध छात्र-समाजशास्त्र एवं शोध निर्देशक - प्रोफेसर, समाजशास्त्र विभाग जवाहर लाल नेहरू स्मा0पी0जी0 कालेज, बाराबंकी।
  • हेमन्त कुमार सिंह शोध छात्र-समाजशास्त्र एवं शोध निर्देशक - प्रोफेसर, समाजशास्त्र विभाग जवाहर लाल नेहरू स्मा0पी0जी0 कालेज, बाराबंकी।
Keywords: टकराव, निर्याग्यता, अलौकिक शक्ति, सामाजिक उत्तरदायित्व, संरक्षण, चुनौतियाँ, परिदृश्य, श्रद्वालु, मूल्य, निवर्हन, पूजा-स्थल

Abstract

भारतीय सामाजिक व्यवस्था में धर्म एवं मंदिरों को सामाजिक अनुशासन एंव सामाजिक नियंत्रण
के साधन के रूप में देखा गया है। वैसे तो अयोध्या का परिचय ही भगवान श्री राम की जन्म स्थली
के साथ-साथ राममंदिर के रूप में है। जहाँ मंदिर और मस्जिद का विवाद विगत पाँच सा ै वर्षों से कई
पीढ़ियां ने देखा ह,ै वि दक काल से चली आ रही पूजा-पाठ एवं धर्म के प्रति आस्था में कहीं न कहीं
जातिगत धारणा का भी समावेश रहा है। कुछ जातियां या वर्णां को ही मंदिर में प्रवेश की इजाजत थी,ं
वहीं कुछ निम्न जातियां का े मंदिरां में प्रवेश से वंचित रखा गया था, अयोध्या जनपद में जातीय मंदिरां
के निर्माण के पीछे जातीय टकराव से बचना तथा वर्ण व्यवस्था पर आधारित धार्मिक निर्योग्यताओं को
समाप्त करने के साथ-साथ सामाजिक योगदान भी एक स्पष्ट लक्ष्य के रूप में देखा जा सकता है।

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Published
2024-02-06
How to Cite
पाण्डेयश. क., & सिंहह. क. (2024). ‘‘अयोध्या के जातीय मंदिरों का सामाजिक योगदान’’. Humanities and Development, 18(02), 89-93. https://doi.org/10.61410/had.v18i2.150