‘‘एकात्ममानववाद एवं राष्ट्रीय राजनीति’’
Abstract
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक राजनीतिज्ञ के साथ-साथ महान दार्शनिक,
अर्थशास्त्री एवं समाज सेवी भी थे, पं0 दीनदयाल उपाध्याय का पारिवारिक जीवन तो अत्यन्त
कठिनाईयों में व्यतीत हुआ। शिक्षा पूर्ण करने के साथ ही वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सिपाही के
रूप में जुड़े और संघ प्रचारक के रूप में अपनी ख्याति अर्जित की। वह पां´चजन्य में पत्रकार की
भूमिका में लेखन कार्य किया, पं0जी एकात्म मानववाद की कल्पना मार्क्सवाद एवं पश्चिमी पूँजीवाद
व्यक्तिवाद के विरोध स्वरूप उत्पन्न हुआ। उन्होंने कभी भी आधुनिक तकनीकि या विज्ञान का विरोध
नहीं किया, उनका विचार पूँजीवाद एवं समाजवाद के समन्वय द्वारा प्राप्त गुणां े के तो प्रशंसक थे, किन्तु
इन दोनां ही प्रणालियां में अलगाव जैसे सिद्धान्त के कभी भी पोषक नहीं थ।े वह हमेशा वर्गहीन,
जातिहीन, एवं संघर्ष मुक्त सामाजिक व्यवस्था के पक्षधर रहे, उनके एकात्मवादी दर्शन से यह स्पष्ट
रूप से परिलक्षित भी होता है।