ग्रामीण महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति तथा ई0-प्रशासन
Abstract
स्वस्थ नागरिक समाज तथा राष्ट्र की निधि है। यह बात स्त्री तथा पुरुष दाने ां के लिए समान रूप से
लागू होती है। व्यक्ति की अस्वस्थता का प्रभाव उसकी कार्य क्षमता पर पड़ता है, जिसका सीधा संबंध
संपूर्ण राष्ट्र एवं समाज के विकास में अवरोध से है। समाज की सबसे छोटी संगठित एव ं पहिचान की
जाने वाली इकाई परिवार है। किसी भी परिवार की धुरी महिला होती है और उसके स्वास्थ्य स्थिति का
सीधा प्रभाव परिवार के सदस्यों पर पड़ता है। यदि घर की महिला स्वस्थ है, तो परिवार के प्रत्येक
सदस्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ महिला स्वस्थ संतान को जन्म देकर स्वस्थ और
खुशहाल भावी पीढ़ी का निमार्ण् ा करती है। समाज में दोयम दर्जा प्राप्त हाने े के बावजूद भी वह प्रत्यक्ष
और अप्रत्यक्ष रूप से अनेक महत्वपूर्ण कार्यों का उचित तरीके से निष्पादन कर समाज निर्माण में
महत्वपण्ू ार् योगदान दते ी है। आजादी कर इतने दिनां के बाद भी हमारे समाज में महिला स्वास्थ्य की
स्थिति अच्छी नहीं है और ग्रामीण भारत में इनके स्वास्थ्य की स्थिति अपेक्षाकृत अधिक खराब है।
यद्यपि आजादी कर बाद ही प्रथम पंचवर्षीय योजना के साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन पर भारत
सरकार द्वारा विविध कार्यक्रम आरंभ किए गए। किन्तु आज भी ग्रामीण दकियानसू ी समाज मे महिला
स्वास्थ्य की स्थिति दयनीय बनी हुई है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बढ़ते प्रयोग के पश्चात ग्रामीण
महिलाआें मे स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता मे बढा़ ेत्तरी हुई है साथ ही ईव-प्रशासन के माध्यम से स्वास्थ्य
सेवाओं की बेहतर बनाकर एनकी पहुँच सुदूर ग्रामीण एवं दुर्गम स्थानों तक सुनिश्चित की जा रही है।
प्रस्तुत शोध के माध्यम से ईव-प्रशासन की सहभागिता के पश्चात ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य में आए
परिवर्तनों को विश्लेषित करने का प्रयत्न किया गया है।