‘धुवस्वामिनी’ एवं अजातशत्रु नाटक में नारी चरित्र के विभिन्न पहलू ः एक दृष्टि
Keywords:
विजयापे लक्ष्य, अनुभूतिपूर्ण, कूटनीतिज्ञता, अभिव्यंजना।
Abstract
प्रसाद जी हिन्दी साहित्य के प्रथम नाटककार थे जिन्होंने अपने ऐतिहासिक नाटकों में
इतिहास और कल्पना का सुन्दर समन्वय कर निष्प्राण इतिहास में प्राणों का संचार किया। अपनी विशेष
प्रतिभा से अतीत के दुर्भेद्य तहों में दबी भारतीय संस्कृति के उद्धार का सराहनीय प्रयास किया।
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Published
2024-02-06
How to Cite
पन्तर. (2024). ‘धुवस्वामिनी’ एवं अजातशत्रु नाटक में नारी चरित्र के विभिन्न पहलू ः एक दृष्टि. Humanities and Development, 18(02), 58-63. https://doi.org/10.61410/had.v18i2.145
Section
Articles