‘‘प्राचीन भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्र नालन्दा का ऐतिहासिक महत्व’’
Abstract
नालन्दा विश्वविद्यालय का प्रथम पूर्णतः आवासीय विश्वविद्यालय था। भारतीय संस्कृति
के विलुप्त इतिहास की खोज में नालन्दा विश्वविद्यालय के पुरावशषौं का महत्वपण्ू ार् योगदान है।
महायान बौद्ध धर्म के इस विश्वविद्यालय में ही तयान के साथ ही साथ अन्य धर्मों की शिक्षा दी जाती
थी। चीनी यात्री ह्वने सांग एवं इत्सिंग के यात्रा विवरणां से नालन्दा के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त
होती है। कुनार गुप्त प्रथम द्वारा अपने 5वीं शताब्दी में नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर
बख्तियार खिलजी के द्वारा विश्वविद्यालय तक नालन्दा विश्वविद्यालय देश-विदेश में अपनी कला एवं
संस्कृति ज्ञान-विज्ञान, एवं सुन्दर एवं विशालकाय भवन के लिए भी प्रसिद्ध था, किन्तु आज यहाँ
अवशेष ही बचे हैं। प्रारम्भ में बौद्ध शिक्षा, दर्शनशास्त्र, रसायनशास्त्र, शरीर-रचना विज्ञान और गणित के
एक केन्द्र के रूप में स्थापित किये गय।े इस आवासीय विश्वविद्यालय ने मध्य और पूर्वी एशिया के
विभिन्न भागां जैसे-चीन, कोरिया, तिब्बत, मंगोलिया और तर्की के कई प्रि सद्ध विद्वानां और छात्रां को
आकर्षित किया।