मुसहर समुदाय का धार्मिक विश्वास एवं कृत्य

  • वंदना पाण्डेय शोधछात्रा- डॉ0 राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी, अयोध्या

Abstract

मानव समाज में धार्मिक वि‛वास इतने सार्व भौमिक, स्थाई और व्यापक हैं कि बिना इसके स्पष्टीकरण के हम समाज को सम्यक रुप में नहीं समझ सकते। वि‛व के सभी धर्मग्रन्थों का अवलोकन करने से ऐसा प्रमाणित होता है कि धर्मों की रचना पारलौकिक के प्रति मानसिक अभिवृत्ति से होती है। इस अभिवृत्ति की सर्वाधिक व्याप्त अभिव्यक्ति विश्वासों एवं कर्मकाण्डों के रुप में होती है। इनमें से विश्वासों को भ्रमवश मिथक(मिथ्स) भी कहा जाता रहा है। जिन्हें हम मिथक कहते हैं, वे वस्तुतः लोगों के अपने पूर्वजों के बारे में वि‛वास होते हैं, और इसीलिए इन्हें धार्मिक वि‛वास या वि‛वास भी कह दिया जाता है।

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Published
2023-06-20
How to Cite
पाण्डेयव. (2023). मुसहर समुदाय का धार्मिक विश्वास एवं कृत्य. Humanities and Development, 18(1), 138-141. https://doi.org/10.61410/had.v18i1.130