‘‘ग्रामीण सामुदायिक जीवन एवं कार्यशैली में आधुनिकीकरण के बढ़ते प्रचलन का प्रभाव’’

  • गुंजन त्रिपाठी डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्याशोध छात्रा-समाजशास्त्र
  • डॉ0 (श्रीमती) सुषमा पाठक शोध पर्यवेक्षक प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग राजा मोहन गर्ल्स पी0जी0 कालेज, अयोध्या डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या

Abstract

भारत गाँवों का देश है, कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय रहा है, सरल जीवन की पहचान बनाये हुए गाँव भी अब नगरीय जीवनशैली के प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं बच सके हैं। जब कोई समाज पुरातन मूल्यों का परित्याग कर नवीन मूल्यों को आत्मसात करता है तो उसमें कहीं न कहीं आधुनिकीकरण की भूमिका अवश्य होती है। ग्रामीण जीवन मूल्यों का उपभोक्तावादी संस्कृति के माध्यम से जो प्रभाव परिलक्षित हो रहा है उसमें संचार साधनों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। यही कारण है कि ग्रामीण जनसंख्या अब नगरीय जनसंख्या से प्रभावित होकर प्राथमिक व्यवसाय में परिवर्तन के साथ-साथ नगरीय क्षेत्रों की ओर प्रवसन आधुनिकीकरण का ही परिणाम कहा जा सकता है।

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Published
2023-06-20
How to Cite
त्रिपाठीग., & पाठकड. (श्रीमती) स. (2023). ‘‘ग्रामीण सामुदायिक जीवन एवं कार्यशैली में आधुनिकीकरण के बढ़ते प्रचलन का प्रभाव’’. Humanities and Development, 18(1), 83-87. https://doi.org/10.61410/had.v18i1.118