‘‘उत्तर वैदिक कालीन सामाजिक परिवर्तन एवं महिलाओं की स्थिति’’
Abstract
जहाँ स्त्रियों की प्रस्थिति को वैदिक काल में स्वर्ण युग कहा जाता था वहीं उत्तर वैदिक काल के पश्चात् स्त्रियों की स्थिति में अवनति काल कहा जा सकता है। विवाह को आवश्यक और धार्मिक कृत्य कहा जाता था। पितृ ऋण से उऋण होने का एक मात्र साधन विवाह, नियोग प्रथम इस काल की विशेषता थी। इस काल में नवीन परम्पराओं का भी उद्भव उत्तर वैदिक काल में दिखाई पड़ती है। वर्ण व्यवस्था की स्थापना के साथ ही वर्णों की पृथकता पर भी बल दिया गया था। उत्तर वैदिक काल की सामाजिक स्थिति मूल रूप से निरन्तरता एवं परिवर्तन की प्रक्रिया कहा जा सकता है।
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Published
2023-06-20
How to Cite
चौधरीम. क., & वर्माप. उ. (2023). ‘‘उत्तर वैदिक कालीन सामाजिक परिवर्तन एवं महिलाओं की स्थिति’’. Humanities and Development, 18(1), 76-70. https://doi.org/10.61410/had.v18i1.114
Section
Articles