संगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के सामाजिक जीवन का अध्ययन
Abstract
प्राचीन काल में मानव के साधन तथा आव‛यकताएँ सीमित होने के कारण उसका घर चलाने का अपना अलग ढंग था, जो कि सुविधामय तथा सीमित था। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास होता गया वैसे-वैसे परिवार की आव‛यकताओं में वृद्धि होती गई। साथ ही लक्ष्यों की संख्या की वृद्धि भी होती चली गई। सभी लक्ष्यों की पूर्ति साधनों की सीमितता के कारण सम्भव नहीं था। अतः सोच विचार एवं तर्क-विर्तक के माध्यम से आव‛यकता और लक्ष्यों का चयन करना नितान्त आव‛यक हो गया। आधुनिक युग में सभ्यता चरम सीमा पर पहुँच गई, जिसकी झलक घर की व्यवस्था पर दिखाई देने लगी। जीवन की जटिलताएँ और हो रहें परिवर्तनों के कारण यातायात के साधन तथा सुविधाओं के बढ़ने से अब घर से बाहर के कार्य भी बढ़ गए है। जैसे व्यापार करना नौकरी करना आदि।
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Published
2023-06-20
How to Cite
यादवम., & रावतड. स. (2023). संगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के सामाजिक जीवन का अध्ययन. Humanities and Development, 18(1), 52-54. https://doi.org/10.61410/had.v18i1.110
Section
Articles